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chidiya rani (चिड़िया रानी )

Sunday 15 July 2012

चिड़िया रानी 
 
बच्चों एक कहानी सुन लो
बात पते की हो तो गुन लो
मम्मी डैडी के प्यारे तुम
सब जग के उजियारे तुम
एक थी सुन्दर चिड़िया रानी
जिद करने की उसने ठानी
बोली अब मैं नहीं उड़ूँगी
नहीं हवा पर पैर धरूँगी
मैं तो तैरूँगी मछली संग
रंग लूँ खुद को उनके ही रंग
मटमैला यह रंग जमे ना
ना मैं मानूँ ना ना ना ना
मां बोली तुम देखो उड़ कर
कहां है मछली के ऐसे पर
उसकी साँसे पानी में हैं
तुम्हें है उड़ना दूर गगन पर
उसकी साँसे पानी में हैं
तुम्हें है उड़ना दूर गगन पर
ना मानी और चली तैरने
डैने भीगे तैर ना पाई
फूली साँस और घबराई
सुबकी मां की गोद समाई
हंस कर मां ने गले लगाया
खूब संवारा पंख सुखाया
फिर इतराकर ऊँचे बैठे
उड़ने का वह सबक सिखाया
ऊपर आसमान पर उड़ते
वह मछली से अबके बोली
साथ साथ नहीं चलते पर
तुम भी हो मेरी हमजोली
कह कर उसने पंख पसारे
और हवा से किये इशारे
दिन भर दौड़ धूप और मस्ती
साँझ डाल और नीड़ पे बस्ती
चिड़िया मछली और सब प्राणी
सबकी अपनी अपनी वाणी
प्रेम-भाव से संग संग रहते
सभी एक से एक हैं ज्ञानी

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