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तारा टूटा

Friday, 13 July 2012




 


 


 
  तारा टूटा

दूर कहीं एक तारा टूटा
क्या जाने वो किसने लूटा

छत पर कहीं नहीं था भाई
नहीं सड़क पर पड़ा दिखाई

काश कहीं अगर मिल जाता
अलमारी में उसे सजाता

जगमग जगमग करता रहता
सुबह शाम मैं देखा करता

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