खिड़की पर गमले
|
1
सूरज निकला फूल खिले पत्तों के संग गले मिले खिल खिल हँसते मिल मिल हँसते हँसते हँसते पूछा करते, "पीली पीली धूप उड़ाते सूरज दादा कहां चले?" सूरज गुमसुम देखा करता कभी किसी से कुछ ना कहता धूप उड़ाता खुशी लुटाता अपने पथ पर बढ़ता रहता खिड़की पर सज जाते गमले हौले से मुसकाते गमले |
My Web page
खिड़की पर गमले
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment