नाव
| नैया मेरी बड़ी मज़े की लहरों पर झूला करती कागज़ की वह बनी हुई है फूलों का बोझा भरती 1 गुड्डे गुड़ियों को ले जा कर है तालाब दिखा लाती परवा उसे न पतवारों की बिन माझी आती जाती1 आहा कितनी हल्की वह है जल में है डूबती नहीं कभी किसी ने देखी है क्या ऐसी सुन्दर नाव कहीं ? |
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