गली में गुब्बारेवाला था। नैना ने उसकी आवाज़ सुनी और दौड़ कर बाहर आई।
गुब्बारे वाले के हाथ में पाँच गुब्बारे थे। दो लाल, एक पीला, एक हरा और एक गुलाबी। एक गाड़ी भी थी। गाड़ी पर पीली छतरी थी। छतरी बड़ी थी। सबको छाया देती थी। गाड़ी में रंग ``बिरंगे गुब्बारे भरे हुए थे।
नैना ने सोचा वह अपनी फ्राक जैसा लाल गुब्बारा लेगी।
"मुझे एक गुब्बारा चाहिये।" नैना ने कहा।
"क्या तुम्हारे पास पैसे हैं?" गुब्बारेवाले ने पूछा।
"लाल गुब्बारा कितने का है? मैं माँ से पैसे ले कर आती हूँ।" नैना ने कहा।
"दो रूपये ले कर आना।" गुब्बारेवाले ने कहा।
नैना माँ के पास से पैसे लेकर आई। गुब्बारे वाले को पैसे दिये और लाल गुब्बारा खरीदा।
गुब्बारे वाले के हाथ में पाँच गुब्बारे थे। दो लाल, एक पीला, एक हरा और एक गुलाबी। एक गाड़ी भी थी। गाड़ी पर पीली छतरी थी। छतरी बड़ी थी। सबको छाया देती थी। गाड़ी में रंग ``बिरंगे गुब्बारे भरे हुए थे।
नैना ने सोचा वह अपनी फ्राक जैसा लाल गुब्बारा लेगी।
"मुझे एक गुब्बारा चाहिये।" नैना ने कहा।
"क्या तुम्हारे पास पैसे हैं?" गुब्बारेवाले ने पूछा।
"लाल गुब्बारा कितने का है? मैं माँ से पैसे ले कर आती हूँ।" नैना ने कहा।
"दो रूपये ले कर आना।" गुब्बारेवाले ने कहा।
नैना माँ के पास से पैसे लेकर आई। गुब्बारे वाले को पैसे दिये और लाल गुब्बारा खरीदा।
गली में खेलना नैना को अच्छा लगता था। खेल में बड़ा मज़ा था। नैना देर तक खेलती रही। लाल गुब्बारा उसका दोस्त बन गया। उसने लाल गुब्बारे का नाम 'लालू' रख दिया।
"बहुत देर हो गयी नैना, खेलना बंद करो और खाना खा लो।" माँ ने भीतर से आवाज़ दी।
नैना को भी भूख लग रही थी। "आती हूँ माँ," नैना ने जवाब दिया।
"लालू, मैं खाना खा लूँ तब तक तुम यहीं रहना। बाद में हम दोनों मिल कर फिर खेलेंगे।" नैना ने कहा।
शायद नैना ठीक से बाँध नहीं पायी। धागा खुल गया और लाल गुब्बारा आसमान में उड़ गया।
नैना उसको पकड़ने के लिये दौड़ी पर वह ऊपर जा चुका था। नैना धागा नहीं पकड़ पाई। उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह रोने लगी।
माँ ने कहा, "रो मत। कल नया गुब्बारा ले लेना।"
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